Retirement Age – देश में लाखों सरकारी कर्मचारी हर साल एक सवाल के करीब पहुंचते हैं – रिटायरमेंट कब होगी? अभी तो अधिकतर राज्यों और विभागों में 60 साल की उम्र में सरकारी कर्मचारी सेवा से रिटायर हो जाते हैं, लेकिन अब यही उम्र बदलने की कगार पर नजर आ रही है। खासकर न्यायिक सेवा में कार्यरत कर्मचारी अब चाहते हैं कि सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ा दी जाए।
यूपी के न्यायिक सेवा संघ ने इस मुद्दे को एक बार फिर उठाया है और सरकार से मांग की है कि उन्हें 60 नहीं, बल्कि 61 या उससे ज्यादा साल तक सेवा करने दी जाए। चलिए इस मुद्दे को थोड़ा विस्तार से समझते हैं।
क्यों उठी है रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने की मांग?
उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ के महासचिव हरेंद्र बहादुर सिंह ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने यह मांग की है कि न्यायिक अधिकारियों की रिटायरमेंट एज बढ़ाकर 61 वर्ष की जाए।
उन्होंने बताया कि साल 2021 में भी ये मांग रखी गई थी, लेकिन अब हालात पहले से भी ज्यादा गंभीर हो चुके हैं। यूपी में 1000 से ज्यादा न्यायिक पद खाली पड़े हैं और अगर ऐसे में अधिकारियों को एक साल और रुकने दिया जाए, तो काफी हद तक यह कमी पूरी हो सकती है।
तेलंगाना ने बढ़ाई रिटायरमेंट एज
आपको जानकर हैरानी होगी कि तेलंगाना सरकार को सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिल चुकी है कि वह जिला न्यायालयों में कार्यरत न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति उम्र को 61 साल कर सकती है। यानी वहां अब अधिकारी 1 साल ज्यादा तक काम कर सकते हैं।
इसी तरह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार से कहा है कि वह रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने के मामले पर विचार करे।
अनुभव का होगा फायदा
रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने का सबसे बड़ा तर्क ये दिया जा रहा है कि जिन अधिकारियों ने पूरी जिंदगी न्याय प्रणाली को बेहतर बनाने में लगा दी, अगर वे एक साल और काम करते हैं, तो उससे सिर्फ अनुभव ही नहीं बढ़ेगा, बल्कि कार्यभार का दबाव भी कम होगा।
हरेंद्र बहादुर सिंह का कहना है कि 60 साल की उम्र में अधिकारी पूरी तरह सक्षम रहते हैं, तो उन्हें क्यों समय से पहले बाहर कर दिया जाए?
सरकारी कर्मचारियों की वर्तमान सेवानिवृत्ति आयु
अभी देश के अधिकतर राज्यों और सरकारी विभागों में सेवानिवृत्ति की उम्र 60 साल तय है। कुछ मामलों में यह 62 या 65 साल तक भी हो सकती है जैसे कि विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर्स, न्यायाधीश, कुछ वैज्ञानिक संस्थान, इत्यादि।
लेकिन अधिकांश सरकारी कर्मचारियों के लिए 60 वर्ष की आयु सीमा ही फाइनल स्टेज मानी जाती है।
अगर उम्र बढ़ी तो क्या होंगे फायदे?
अगर सरकार सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ा देती है, तो इससे केवल कर्मचारियों को ही नहीं बल्कि प्रशासन को भी कई फायदे होंगे:
- अनुभव का बेहतर इस्तेमाल
जो अधिकारी 60 की उम्र में रिटायर हो जाते हैं, उनमें से कई शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह फिट रहते हैं। ऐसे लोगों के अनुभव का फायदा सरकार उठा सकती है। - रिक्त पदों पर दबाव कम होगा
अगर मौजूदा कर्मचारी एक-दो साल ज्यादा काम करेंगे, तो फिलहाल खाली पड़े पदों पर बोझ कुछ हद तक कम हो जाएगा। - नई भर्ती की प्रक्रिया को समय मिलेगा
सरकार को नई भर्ती करने में समय लगता है, ऐसे में अगर मौजूदा कर्मचारी ज्यादा समय तक सेवा में रहते हैं, तो उसे प्लानिंग में राहत मिलेगी। - वित्तीय सुरक्षा बढ़ेगी
कर्मचारियों को एक साल की अतिरिक्त सेवा का फायदा मिलेगा – सैलरी, PF, ग्रेच्युटी सबमें इजाफा होगा।
क्या सभी विभागों में बढ़ेगी उम्र?
अभी तो सिर्फ न्यायिक सेवा की बात हो रही है, लेकिन अगर यूपी सरकार इस मांग को स्वीकार कर लेती है और सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं, तो बाकी विभागों के कर्मचारी भी ऐसी ही मांग उठा सकते हैं।
पहले भी कई बार शिक्षक संगठनों, मेडिकल स्टाफ और पुलिस कर्मियों ने भी यह मांग रखी है।
विरोध भी संभव है
जहां एक तरफ उम्र बढ़ाने की मांग हो रही है, वहीं कुछ वर्ग इससे सहमत नहीं भी हो सकते हैं। उनका कहना है कि उम्र बढ़ने से नई भर्तियों में देरी होगी और युवाओं को नौकरी मिलने में अड़चन आ सकती है।
इसलिए सरकार को संतुलन बनाकर ही कोई निर्णय लेना होगा।
सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र को लेकर बहस एक बार फिर गर्म हो चुकी है। 60 साल की उम्र में रिटायरमेंट का ट्रेंड अब थोड़ा पुराना लगने लगा है, खासकर जब लोगों की जीवनशैली, सेहत और कार्यक्षमता बेहतर हो चुकी है।
सरकार अगर इस पर गंभीरता से विचार करे तो अनुभव और ऊर्जा का बेहतर मेल तैयार हो सकता है। अब देखना ये होगा कि यूपी सरकार इस मुद्दे पर क्या फैसला लेती है और क्या यह दूसरे राज्यों के लिए भी रास्ता खोलता है।